माँ-पिता मनरेगा में मजदुर लेकिन बेटी बनी केरल की पहली आदिवासी IAS अफसर !
कुछ दिनों बाद उन्होंने वायनाड के आदिवासी हॉस्टल में बतौर वार्डन काम किया. उसी समय उनकी मुलाक़ात तत्कालीन वायनाड कलेक्टर श्रीराम समाशिव राव से हुई उन्होंने श्रीधन्या को UPSC की परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद श्रीधन्या ने तैयारी करना शुरू किया और दो बाद फ़ैल होने के बावजूद हार नहीं मानी.
IAS Sreedhanya Suresh : तीसरे प्रयास में श्रीधन्या का चयन इंटरव्यू के लिए हुआ तो उनके पास दिल्ली जाने के पैसे भी नहीं थे. तब काम आये उनके दोस्त और उन्होंने किसी तरह 40,000 रुपये इकट्ठा कर उसे दिल्ली भेजा.
श्रीधन्या एक इंटरव्यू में बताती हैं कि राज्य के सबसे पिछड़े जिले से आती हू. इस जिले में आदिवासी जनजातियाँ बहुलता में हैं लेकिन अभी तक कोई आदिवासी IAS अफसर नहीं बना. वायनाड में UPSC की तैयारी करने वाले काफी कम हैं लेकिन उम्मीद हैं कि मेरे चयन के बाद आदिवासी समाज से और लोग भी आईएएस बनेंगे.
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